देखऽ बापू दोहरा देश में / सिलसिला / रणजीत दुधु
देखऽ बापू तोहर देश में भाय-भाय लड़ रहलो हन,
महल आउ झोपड़ी संग संग धू-धू कर जर रहलो हन,
सत्य-अहिंसा के मंतर सभे आय भुलाल हो,
हत्या अपहरण बलात्कार के सगरो फूल फुलाल हो,
गुलामी से भी बत्तर आजादी के फल फर रहलो हन
देखऽ बापू तोहर देश में भाय-भाय लड़ रहलो हन।
नेता सब अंगरेजों से बढ़लों, खेलऽ हो खून के होली
गाम के गाम भुँज रहल हन अपने भाय के गोली
नीन आँख से उड़ल हे सबके दिलों में डर रहलो हन,
देखऽ बापू तोहर देश में भाय-भाय लड़ रहलो हन।
नेता के कुत्ता उड़े जहाज से जनता भुखल तड़पे हे
रोज-रोज घोटाला करके सरकारी खजाना हड़पे हे
बंदुक नोक रंगदार के दनादन वोट पड़ रहलो हन,
देखऽ बापू तोहर देश में भाय-भाय लड़ रहलो हन।
जाति-धरम के अस्त्र-शस्त्र ले सबके सब घतिअयले हे
सत्ता के अपनावे ले एक दूसरे के सब पटिइयले हे
बेकारी आउ भरसटाचार सुरसा मुँह नियन बढ़ रहलो हन
देखऽ बापू तोहर देश में भाय-भाय लड़ रहलो हन।
तोहर तीनों बानर बापू पा लेलकों पद सरकारी
पहिला नेता दोसरका अभिनेता तीसरका अधिकारी
तीनों मिलके देश में तोहर घोटाला कर रहलो हन
देखऽ बापू तोहर देश में भाय-भाय लड़ रहलो हन।