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देखा तुझे तो मेरा नजरिया बदल गया / रंजना वर्मा

देखा तुझे तो मेरा नज़रिया बदल गया
तुझको बताऊँ कैसे कि क्या-क्या बदल गया

था अक्स जिसमें कैद हमारे वक़ार का
है फ्रेम वही संदली शीशा बदल गया

क्या क्या नहीं कीं ख़्वाहिशें क्या-क्या नहीं चाहा
लेकिन खुली जो आँख तो सपना बदल गया

हर लम्हा बदलता रहा मिजाज़ वक्त का
तुम से किया जो यार वह शिक़वा बदल गया

करते रहे शिकार वह हर रोज़ हर कहीं
चूका जो वार कहते निशाना बदल गया

आता रहा है फर्क उन्हीं के मिजाज़ में
कहते हैं लोग हमसे कि लहज़ा बदल गया

थी भीड़ बहुत हँस रहे थे लोग सभी पे
आया जो नाम उनका तमाशा बदल गया