देखा मैंने जंबो हाथी
कूद रहे थे बंदर,
दिखा रहे थे खेल शेर और
झूम रहे थे जोकर।
जोकर ने फिर नाच-नाचकर
ऐसी कूद लगाई,
हो गई सिट्टी-पिट्टी गुम यों
जान गले में आई।
फिर जोकर ने ठुमक-ठुमककर
ऐसा खेल दिखाया,
मटक-मटक के लोट-पोटकर
हमको खूब हँसाया।
बंदर थे मनमौजी इतने
मचा रहे थे शोर,
कभी खड़े हो, कभी बैठकर
घूमें चारों ओर।