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देखा है जब से आपको दिल आशिकाना हो गया / हरकीरत हीर

देखा है जब से आपको दिल आशिकाना हो गया
था ख़ुश्क मौसम दिल, खिला गुल फ़िर सुहाना हो गया

ख़ामोश दिल की धड़कनें ये कह रही आ प्यार कर
पुरनूर अब इस ज़िंदगी का हर फ़साना हो गया

रूठी हँसी बरसों तलक,था शुष्क ये दिल का चमन
तुम क्या मिले अब बेवज़ह भी, मुस्कुराना हो गया

तू ही बता या रब कहाँ जाऊँ? करूं मैं क्या जतन?
लगता कहीं अब ये नहीं, दिल क्यूँ लगाना हो गया?

आँसू, गिला, गम, रंज, तम रहते जहाँ थे आज तक
घर वो मिरा अब रौशनाई का ठिकाना हो गया

ये कैसी फ़ितरत सी है, इंसानों में होती जा रही
धोखा, गबन, चोरी, दगा? कैसा ज़माना हो गया?

जिस पेड़ पर बरसों न आया 'हीर' कोई अब तलक
वो पक्षियों की प्रीत का, अब आशियाना हो गया