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देखिए देखि या ग्वारि गँवारि की / रघुनाथ

देखिए देखि या ग्वारि गँवारि की, नेकुी नहीं थिरता गहती है।
आनंद सों 'रघुनाथ पगी-पगी, रंगन सों फिरतै रहती हैं॥

कोर सों छोर तरयना के छ्वै करि, ऐसी बडी छबि को लहती हैं।
जोबन आइबे की महिमा, ऍंखियाँ मनौ कानन सों कहती हैं॥