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देखिये चुनाव आ गया / अवधेश्वर प्रसाद सिंह
Kavita Kosh से
देखिये चुनाव आ गया।
संग मन मुटाव आ गया।।
झूठ का बाज़ार आ गया।
सैकड़ांे नकाब आ गया।।
ऑफिसें हजार हो गये।
वोट पर दबाब आ गया।।
वोट की न बात पूछिये।
मौसमी जुलाब हो गया।।
पांच साल यूँ बितायेंगे।
बाग में गुलाब आ गया।।
कालनेमि जाल बिछाया।
कूद कर नवाब आ गया।।
वोट तो संजीवन बूटी है।
लूटने शवाब आ गया।।
बोलते अपने हो जैसे।
भांग वह शराब आ गया।।
मत हमारा जान प्राण है।
थार में कबाब आ गया।।
सोचकर मत गिरायें हम।
आपका जवाब आ गया।।