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देखि जसोदा के चेरिया, बिलोकु पूछे रे / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

प्रसव-वेदना से खिन्न यशोदा को देखकर दासी कारण जानने का हठ करती है, जिससे यशोदा और खिन्न हो जाती है। इशारे से ही सब कुछ बताकर वह नंद के पास उसे खबर करने को भेजती है। नंद डगरिन और पंडित को बुलवाते हैं। पुत्र का आगमन होता है। पंडित बच्चे के नक्षत्र आदि की गणना करके कहते हैं कि बच्चा नक्षत्री हुआ है और इसके सभी लक्षण बड़े शुभ हैं।

देखि जसोदा के चेरिया, बिलोकु पूछे रे।
ललना, सोंच कहु केहि कारन, मुख तोर साँवर रे॥1॥
जों जों चेरिया पूछन लागै, तों तों अधिक दुख रे।
ललना, चेरिया तू चतुर सेआन, खबर नंद जी के देहो रे॥2॥
सुनि चेरिया बात सोहाबन, औरो मनभाबन रे।
ललना, जहाँ तहाँ भेजल लोग, कि दगरिन बोलाबै ल रे॥3॥
कथि लेली दगरिन बोलाबल, कथि लेली पंडित रे।
ललना, नार काट दगरिन बोलाबल, दिनमा गूने पंडित रे॥4॥
चढ़ी पालकी दगरिन आयल, पैर पखारल रे।
ललना, पंडित ऐला घोड़ा चढ़ि, पैर पखारल रे॥5॥
दगरिन बैठल महल बीच, पंडित सभा बीच रे।
ललना, पंडित सुनिय हँसी बोलै, बालक नछतरी<ref>नक्षत्रवान्; प्रतापी, भाग्यवान</ref> भेल रे॥6॥

शब्दार्थ
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