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देखु सखी, नव छैल छबीलो / नारायण स्वामी

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देखु सखी, नव छैल छबीलो प्रात समै इततें को आवै?
कमल समान बदृग जाके, स्याम सलोनो मृदु मुसकावै ॥

जाकी सुंदरता जग बरनत, मुख सोभा लखि चंद लजावै।
'नारायन' यह किधौं वही है, जो जसुमति को कुंवर कहावै?