देखूं तो इक तुर्फा तमाशा सा लगे
जो सोचने बैठूं तो अजूबा सा लगे
कुछ और उलझ जाये जो समझाने से
ये ज़ीस्त, ब-हर कैफ़ मुइम्मा-सा लगे।
देखूं तो इक तुर्फा तमाशा सा लगे
जो सोचने बैठूं तो अजूबा सा लगे
कुछ और उलझ जाये जो समझाने से
ये ज़ीस्त, ब-हर कैफ़ मुइम्मा-सा लगे।