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देखेंगे और जी में कुढ़ के रह जाएँगे / जाँ निसार अख़्तर
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देखेंगे और जी में कुढ़ के रह जाएँगे
लहराएँगे उनके दिल में कितने आँसू
आँचल की भरी खोंप छुपाने के लिये
साड़ी का उड़सती है कमर में पल्लू