देखे न इस जगत में, बिन तमा<ref>माया</ref> के भेख ।
असली भेखी न मिले, भेख लिए सब देख ।।
भेख लिए सब देख मिले भेखों में भेखी ।
जो भेखों से परे तमा उनमें न देखी ।।
गंगादास बेतमा, तमामी<ref>समाप्त</ref> कर गए लेखे ।
तप में उमर तमाम करी बेतमा न देखे ।।
शब्दार्थ
<references/>