भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

देखो कितने अच्छे मेरे साथी हैं / ओमप्रकाश यती

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


देखो कितने अच्छे मेरे साथी हैं
पेड़, किताबें, बच्चे मेरे साथी हैं।

मुझको बतलाते हैं मेरी कमियां भी
लोग वही जो मन से मेरे साथी हैं।

निष्ठा का तो ये है हाल सियासत में
रोज़ बदलते झण्डे मेरे साथी थी हैं।

काम पड़े तब देखें आते हैं कितने
कहने को तो नब्बे मेरे साथी हैं।

अपने और पराए का अन्तर कैसा
सब अल्ला के बन्दे मेरे साथी हैं।