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देखो सखी नृप ब्याहन आये दशरथ राज दुलारे जू / बुन्देली
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
देखो सखी नृप ब्याहन आये दशरथ राज दुलारे जू हाँ हाँ जू कै हूँ हूँ जू।
दोऊ कुल गुरू जुर मिलकै बैठे नेग जोग निरवारे जू हाँ हाँ...
हथलोई हाथन धरे सिया के पियरे हाथ कराये जू हाँ हाँ जू...
कंचन थार राम के आगे धर नृप चरण पखारे जू हाँ हाँ जू...
गाँठ जोर फिर भाँवर पारी सब लख भए सुखारे जू हाँ हाँ जू...
इतै वशिष्ठ उतै गुरू सतानन्द साकोचर उचारेजू जू हाँ हाँ जू...
दुज दुर्गा धन्य भाग सखिन के जिन भर नैन निहारे जू हाँ हाँ जू...