भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

देखो / राग तेलंग

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

देखो तो हर आदमी सुंदर है

देखो तो !

जैसे हर एक पेड़
जैसे हर एक फूल
जैसे पानी की हर एक बूंद
जैसे हवा का हर एक झोंका
जैसे पहाड़ के ऊपर हर एक बादल
जैसे पांव रखते ही ठंडक देती हर एक दूब

सब सुंदर,अति सुंदर

हर संबोधन सुंदर है प्यार का
हर चिट्ठी सुंदर है प्यार के उलाहने से भरी
हर उकेरी गई रेखा सुंदर है किसी के नक्श की

सुंदर,अति सुंदर

देखो तो ! सांकल बजी
माफ करना ! काॅलबेल

देखो तो !
कोई सुंदर-सा शख्स आया हे ।