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देखो / राग तेलंग
Kavita Kosh से
देखो तो हर आदमी सुंदर है
देखो तो !
जैसे हर एक पेड़
जैसे हर एक फूल
जैसे पानी की हर एक बूंद
जैसे हवा का हर एक झोंका
जैसे पहाड़ के ऊपर हर एक बादल
जैसे पांव रखते ही ठंडक देती हर एक दूब
सब सुंदर,अति सुंदर
हर संबोधन सुंदर है प्यार का
हर चिट्ठी सुंदर है प्यार के उलाहने से भरी
हर उकेरी गई रेखा सुंदर है किसी के नक्श की
सुंदर,अति सुंदर
देखो तो ! सांकल बजी
माफ करना ! काॅलबेल
देखो तो !
कोई सुंदर-सा शख्स आया हे ।