भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
देख कै ने गांधी का चरखा / हरियाणवी
Kavita Kosh से
हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
देख कै ने गांधी का चरखा।
अंगरेजां का था दिल धड़का।।
बालक बुड्ढे अर नर नारी।
सब नै तान चरखे की पियारी।।
चरखे नै जादू दिखलाया।
सुदेसी का पाठ सिखलाया।।