देख ये हौसला मेरा, मेरे बुज़दिल दुश्मन
तुझ को लश्कर में पुकारा , तन-ए-तन्हा हो कर
उस शाह-ए-हुस्न के दर पर है फ़क़ीरों का हुज़ूम
यार हम भी ना करें अर्ज़-ए-तमन्ना जा कर
हम तुझे मना तो करते नहीं जाने से 'फ़राज़'
जा उसी दर पे मगर, हाथ ना फैला जा कर