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देख लऽ! / सतीश मिश्रा

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डोलिया सजना के नगरी चलल, देख लऽ!
अँखिया में कजरा लगौलक जे अँगना
ओही अँगना
अँखिए के जल से दहल, देख लऽ!

पल भर दुअरिया पर ठहरल जे कहरा
ओही कहरा
बन के बहेलिया तनल, देख लऽ!
जोतिया पिरितिया के बारलक जे जिनगी
ओही जिनगी
बन के संझउतिया बरल, देख लऽ!

कभी न गदानली जे निसबद रतिया
ओही रतिया
सैंया आगू संग में रहल, देख लऽ!
डोलया सजना के नगरी चलल, देख लऽ!