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देख लिया सारै कै फिरकै सच्चा भगवान मिल्या नां / मेहर सिंह

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देख लिया सारै कै फिरकै सच्चा भगवान मिल्या नां।टेक

हाथ पैर जोड़ कै नैं बड़ी मुश्किल से इकट्ठे किए
जात मैं तैं गेरण लागे बहोत स्यां नैं ठठ्ठे किए
हिन्दुओं का इत्तफाक देखो ठोकरों से बट्टे किए
गैरां के घरां रोशनी अपणै घरां रात देखी
बख्त पड़ै पै नाट गए उतां की भाई बात देखी
फैसला करणियें देखे पंचा की पंचायत देखी
डूबगे अधम म्हं तिरकै मनैं नुगर्यां म्हं गुण स्यान मिल्या नां।

मन्दिर के म्हां जाकै देख्या पत्थर की एक मूर्त धरी
घी बुरा का भोग लावैं पत्थर नैं बतावैं हरी
ईन झूठे फंडा नैं भाइयो दुनियां बारा बाट करी
देख कै नै चाल पड़या एक झटका और देख्या
चौगरदे नै ताली बाजी बहोत घणा शोर देख्या
कर्या था ख्याल ध्यान करकै मनैं छलियां म्हं ज्ञान मिल्या ना।

मन्दिर मंढी कुए बावड़ी बागां म्हं फल सारे थे
किस्म किस्म की फुलवाड़ी छूट रहे फुव्वारे थे
देख कै आनन्द हो गया बहस्त के किनारे थे
कोठी बंगले बहुत देख बड़े बड़े साहूकार
मन्दिर म्हं पुजारी उतां की भाई लागी लार
चढ़ावे के पैसे मारैं कती भी ना करते टार
बैठगे घर अपणा भरकै किसे नै कम बत्ती ज्ञान मिल्या ना।

हवन कुण्ड थोड़े घणे तो शिवाले थे
चौगरदे नै गऊ चरैं थी बीच मैं ग्वाले थे
एक तरफ नैं प्रजा न्हा थी बहते नदी नाले थे
सच्चे अन्तर्यामी बिना और का सहारा नहीं
घूम कै लिया देख दूनियां म्हं कोए प्यारा नहीं
मेहर सिंह सोच ले नै इस तरियां गुजारा नहीं
चाल पड्या गरीब सब्र करकै मनैं ईश्वर का स्थान मिल्या ना।