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देवा चुप हैं / हम खड़े एकांत में / कुमार रवींद्र
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क्या बतलाएँ
धम्मधाम में विपदा व्यापी
देवा चुप हैं
बोधिवृक्ष पर बैठे पंछी काँप रहे हैं
करुणा-भीगे गाछों ने उत्पात सहे हैं
मची हुई है
मन्दिर में भी आपाधापी
देवा चुप हैं
जली घास पर ओस खोजती डरी गिलहरी
कल जलसे में हुई सुजाता अंधी-बहरी
महाघाट पर
चिता-अगिन सबने है तापी
देवा चुप हैं
धुआँ घटाएँ - लहू-भिगोई बहीं हवाएँ
आहत-घायल बोधिसत्व की नेह-कथाएँ
पूजा की यह
तान नई किसने आलापी
देवा चुप हैं