जन्म झारखंड के गोड्डा जिले के मोतिया गाँव में। बचपन गाँव में, कॉलेज की पढ़ाई बिहार के भागलपुर में। फिर दिल्ली बनी ठिकाना।
देश की कई महत्त्वपूर्ण कला प्रदर्शनियों में हिस्सेदारी और पुरस्कृत। कला आलोचना में सक्रिय। देश-विदेश के प्रकाशन संस्थानों के लिए एक हज़ार से ज़्यादा बुक कवर डिजायन किए। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ओर से फैलोशिप और दो रिसर्च प्रोजेक्ट। एनएफआई फैलोशिप।
कला पर कई किताबें। हाल में अर्पणा कौर की कला पर आई किताब 'जिसका मन रंगरेज' बहुचर्चित।
आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए लगातार नाटक और डॉक्यूमेंटरी फ़िल्म के लिए लेखन। फीचर फ़िल्मों के लिए भी लिखा। संथाल संस्कृति पर आधारित फ़िल्म 'कपूरमूली के फूल पनघट पर' के लिए संवाद। फणिश्वर नाथ रेणु की कहानी 'रसप्रिया' पर आधारित फ़िल्म के लिए भी संवाद लेखन जारी।
और नौकरी, कभी प्रिंट मीडिया में तो कभी टीवी मीडिया में। लंबे समय तक 'बीएजी फ़िल्म्स' , 'आईबीएन7' और 'स्टार न्यूज' जैसे संस्थानों में काम करने के बाद इन दिनों अख़बार 'अमर उजाला' में मैग्जीन संपादक।
और सफ़र जारी है।