देश धरती से बड़ा नाता पुराना है।
देह पर शोभित सदा बलिदान बाना है।
है तिरंगा यह हमें तो जान से प्यारा
कौल है इससे किया जो वह निभाना है॥
अस्त्रमय है शत्रु हम स्वागत करें उस का
छीन कर हथियार वापस भी भगाना है॥
हो विकल माँ भारती है देखती हमको
शत्रु के ला शीश चरणों में चढ़ाना है॥
है दिखाता आँख हमको नित पड़ोसी जो
अब उसे औकात भी उस की बताना है॥
उंगलियाँ हैं जो उठाते सैन्य के दल पर
देश के प्रति भक्ति उनकी तो बहाना है॥
बाँह में छुपकर न डँस ले नाग फिर कोई
अब सबक गद्दार को हम को सिखाना है॥