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देश में दो सरकारें हुईं / बलबीर सिंह 'रंग'
Kavita Kosh से
देश में दो सरकारें हुईं।
एक शीश पर भार हुए दो,
एक तीर से वार हुए दो,
इसीलिये तो एक म्यान में दो तलवारें हुईं।
देश में दो सरकारें हुईं।
रवि का कहीं प्रकाश बँटा है,
क्या अखंड आकाश बँटा है,
कंठ अखंडित रहा, कंठ की पृथक पुकारें हुईं।
देश में दो सरकारें हुईं।
शांति मर मिटी क्रोध जी गया,
दल गत बैर विरोध जी गया,
माँ की छाती फटी, पयोधर की दो धारें हुईं।
देश में दो सरकारें हुईं।