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देश है अनुपम अनोखा यह हमारी जान है / रंजना वर्मा
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देश है अनुपम अनोखा यह हमारी जान है।
देश के चरणों में अपनी ज़िन्दगी कुर्बान है॥
निकलती गंगा यहाँ पर हिमालय की गोद से
जो सुधा सम नीर का करती अलौकिक दान है॥
सिंधु है दक्षिण दिशा में नित्य पाँव पखारता
हिंद सागर की लहर अपनी यही पहचान है॥
वेद ग्रंथों में भरा है ज्ञान सारे विश्व का
शेष जग ने जो किया वह तो महज अनुमान है॥
है अमर गौरवमयी संस्कृति हमारे देश की
इस धरोहर पर सदा हमको रहा अभिमान है॥
देश की यदि बात हो दो जान की बाजी लगा
तू है बाशिंदा यहाँ का तू नहीं मेहमान है॥
जन्म पाया है जहाँ जिस धूल में खेले बढ़े
वह बड़ा माँ बाप से है आन है सम्मान है॥