देसूंटो-9 / नीरज दइया
आथड़ती आवैला
थारी ओळूं
ओळूं रो मारग
जाणै फगत ओळूं
म्हारा थोड़ा’क दिन
इण मिस कट जावैला
काया रै दरपण मांय
चिलकै थारा
केई-केई चितराम
आभै री आंख सूं
छिंटी-छिंटी हुयोड़ा सुपना
अर धरती खिंड्योड़ो-
अमिट ओळूं-रंग
आंसुवां रै साथै
छेकड़ निकळैला बारै
धरती मांय रळती बगत
करू म्हैं जतन
कै सांभ लेवूं
सोच्यो कीं राख लेवूं
भारी मन लियां
म्हैं ढळकावतो रैयो-
टप-टप आंसूं
छेकड़ पूग्यो
बंध्यो परबस रीतां
म्हैं पाणी मांय
पाणी नै सूंप्या
जणै बंधी कीं थावस
कै कठैई थूं
अबै तिरसायो नीं हांडैला
अर सुपनां मांय म्हारै
कम सूं कम
पाणी तो नीं मांगैला
इण बिध
कर्यो म्हैं थन्नै
म्हारै सूं मुगत
अबै साव मुगत है-
थारी सांस
इण देस री चीजां
पांचू चीजां
थारै सूं मुगत
म्हारै पाखती थारा
अबै फगत
सुपना-ई-सुपना है
मा कैवै-
माटी रळ जावै
माटी मांय
रळै फेर-
माटी मांय माटी
कठैई कोई मूरत
नूंवीं बण जावै
म्हनै मूरत माथै नीं
माटी माथै भरोसो है
म्हनै अरथ माथै नीं
सबद माथै भरोसो है
भाट बांचैला-
छेकड़ बही मांय लिख्यो
थारो-म्हारो नांव
इण देस रै भाखर
थारी दीठ री हद मांय
कांई दीसूंला
कठैई म्हैं
फगत म्हैं हूं
थारो
कोई कणूको
बण परो बही मांय
छेकड़ रैवै नांव
सबद-रूप
उण मांय
केई बरसां तांई दीसै
अेक उणियारो
अर ओळखीजै
अेक उणियारो
होळै-होळै
हुय जावै-
नांव-अरूप
रैवै सबद-रूप
नीं दीसै उणियारो
जिको मेळ खावतो हो
अेक उणियारो
सांवरा !
आवै हर थारी
टुकर-टुकर जोवूं
म्हारी आंख रै आभै मांय
थूं झळमळ-झळमळ करता-
म्हारो तारो
मा कैवै-
तारा ई करै मोह
उडीकै तूटण रो वार
अर पूग जावै
तूट्यां आंख मांय
अणमाप सुपनां समेत
भरीजै कोनी आंख
सुपना सूं
घणा छोटा-छोटा हुवै
मोटा-मोटा सुपना
पण तूटै जद कोई सुपनो
छोटो सो’क सुपनो
भरीज जावै आंख
फगत थूं अर थूं है
म्हारो सुपनो
अरूप सुपनो
लेवैला कदैई
कोई रूप
म्हारी आंख मांय
थारै देस रा तारा
मारग मिल्यां
पूगै किणी नींद मांय
अर धार लेवै
इच्छा रूप कोई
इच्छा-रूप
आतमा रो अदीठ
जिण पाखती हुवै
सदीव गाभा
खीन-खांफ रा गाभा
इण री ठाह हुवै
पण ठाह नीं हुवै
पांच चीजां अखंड
रैवै अखंड री अखंड
थूं ई जोड़ै-तोड़ै
इण री ठाह हुवै
अर ठाह नीं हुवै
दौड़ै मिनख
ताजिंदगी दौड़ै
दौड्यां ई जावै दौड़
थारी जोड़-तोड़ मांय
म्हैं कठैई नीं हूं
म्हारी तो है
फगत थारै तांई
जोड़-तोड़
अर दौड़
डील: पींजरै
मन: आंगणै
बगतै: पगोथियां
थूं उतरै मांय म्हारै-
पगोथियां-पगोथियां
थूं पूग सकै
पूगै पाधरो
परबारो मांय म्हारै
आतमा रै भेख
बस्यो है थूं ईज
जाणूं ठेठ सूं सांवरा
टाबरपणै रै देस
मन-आंगणै
थूं सूती राखै-
मती नै
अर साथै
पोढ्यो रैवै-
मद म्हारो