हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
देस के हो रे थे बारां बाट।
बणिया बाह्मण अर कोई जाट।
अर कोई था अछूत कहलाया।
बाब्बू का दिल था भर आया।।
बाब्बू ने मिटाई छू आछूत।
सब सैं भारत मां के पूत।।
देस के हो रे थे बारां बाट।
बणिया बाह्मण अर कोई जाट।
अर कोई था अछूत कहलाया।
बाब्बू का दिल था भर आया।।
बाब्बू ने मिटाई छू आछूत।
सब सैं भारत मां के पूत।।