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देह भवन को तो इस खूब सजाया है / रंजना वर्मा

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देह भवन को तो इस खूब सजाया है ।
आज साँवरे ने फिर रास रचाया है।।

कालिंदी के कूल कन्हैया आयेगा
इसी कल्पना में यह मन मुस्काया है।।

खंजन से नैनों से मस्ती छलकेगी
चंचल चितवन ने चित को भरमाया है।।

होली में जब भीग उठेगा पीतांबर
चित्र वही अब उभर ह्रदय पट आया है।।

सपने हैं रंगीन सजाये नैनों में
फागुन के दिन प्रिय ने मुझे बुलाया है।।

फाग मचेगी अद्भुत फिर वृंदावन में
इसी सोच ने तो दिल को धड़काया है।।

नटखट श्याम बसेरा कर ले आँखों में
खुशबू के हाथों संदेश पठाया है।।