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देह से भी परे एक विश्वास है / विनोद तिवारी

देह से भी परे एक विश्वास है
प्यार जैसे अमरता का अहसास है

कामनापूर्ति भी है चरम तृप्ति भी
प्यार भी प्राण की अनबुझी प्यास है

कंटकों में भी दे सुख की अनुभूतियाँ
प्यार दो आत्माओं का मधुमास है

स्रोत है फूटकर सूखता जो नहीं
प्यार आवेग है एक उल्लास है

ज़िद पे आए तो यह विश्व को जीत ले
प्यार तो दास के दास का दास है