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दै दै मुरलिया मोरी राधिका / अवधी
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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कृष्ण:--दै दे मुरलिया मोरी राधिका, दै दे मुरलिया मोरी
राधिका दै दे मुरलिया
कृष्ण:-- यह मुरली मोरे प्राण बसत है
वहो भाई रे चोरी राधिका, वहो भाई रे चोरी
राधिका दै दे मुरलिया...
कृष्ण:-- काहे से गौबे काह बजौबे
काहे से गौवें टेरी राधिका, काहे से गौवें टेरी ?(गायों को कैसे बुलाऊँ )
राधिका दै दे मुरलिया...
राधा:-- मुख से गावो ताल बजावो
बोलि के गौवें टेरो श्याम, तुम बोलि के गौवें टेरो
श्याम न देबे मुरलिया तोरी...
राधा:-- एहि मुरली धुन खूब सतायो
खूब करयो है बरजोरी श्याम, तुम खूब करयो है बरजोरी
श्याम न देबे मुरलिया तोरी...
कृष्ण:-- हाथ जोड़ तोसे विनय करत हूँ
प्रण करत कलिन्दी (यमुना) ओरी राधिका, करत कलिन्दी ओरी
राधिका दै मुरलिया मोरी...