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दोघड़ चिंता / राजूराम बिजारणियां
Kavita Kosh से
कूख हुई हळचळ
खूणां-खूणां
सरू होयगी
खुसरपुसर!
तिल-तिल करतां
तोळा-मासा
सांस सुळझतां
संवरै माटी...
नित घड़ीजै गोडां
खिंडतो-मंडतो भाग
लिखीजै
अणदीठ रो फैसलो
गिणती में
सामल होवणै सूं पैलां.!
मा...
मून है.!
भरोसो करयां भाग माथै।
अर भाग...
भुंवाळी खावै.!!