दोपहर की धूप और छाया / मुहम्मद अल-मग़ूत / विनोद दास
दुनिया के सभी खेतों की
दो नन्हें होंठों से अनबन है
इतिहास की सभी राहों की
दो नन्हें पैरों से अनबन है
वे सफ़र पर रहते हैं
हम घर पर रहते हैं
वे फाँसी के तख़्ते के मालिक हैं
हमारे पास गर्दनें हैं
वे मोतियों के मालिक हैं
हमारे पास मस्से और चकत्ते हैं
उनके पास रात, सुबह और दोपहर है
हमारे पास चमड़ी और हड्डियाँ हैं
हम दोपहर की चिलचिलाती धूप में खेत रोपते हैं
वे छाँह में खाना खाते हैं ।
उनके दाँत चावल की तरह सफ़ेद हैं
जँगलियों की तरह हमारे काले हैं,
उनकी छाती रेशम की तरह मुलायम है
फाँसी के चौक की तरह हमारी खुरदरी है,
फिर भी हम दुनिया के बादशाह हैं ।
उनके घर में ख़ासराज़ वाली तमाम फ़ाइलें जमा हैं
हमारे घर पत्तियों से अटे पड़े हैं ।
उनकी जेबों में चोरों और गद्दारों के पते हैं,
हमारी जेबों में नदियाँ हैं,
और बादलों की गड़गड़ाहट है ।
उनके पास खिड़कियाँ हैं
हमारे पास हवा है
उनके पास पानी के जहाज़ हैं
हमारे पास लहरें हैं ।
उनके पास मैडल है
हमारे पास धूल है ।
उनके पास दीवारें और छज्जे हैं
हमारे पास गमछा और कटारें हैं ।
लेकिन, मेरे महबूब ! अब हमें
सड़क की पटरी पर सो जाना चाहिए
अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास
लीजिए, अब यही कविता अँग्रेज़ी में पढ़िए
Muhammad al-Maghut
Shade and Noon Sun
All the fields of the world
At odds with two small lips
All the streets of history
At odds with two bare feet.
Love,
They travel and we wait
They have gallows
We have necks
They have pearls
And we have freckles and moles
They own the night, the dawn, the afternoon sun and the day
And we own skin and bones.
We plant under the noonday sun,
And they eat in the shade
Their teeth are white as rice
Our teeth dark as desolate forests,
Their breasts are soft as silk
Our breasts dusty as execution squares
And yet, we are the kings of the world:
Their homes are buried in bills and accounts
Our homes are buried in autumn leaves
In their pockets they carry the addresses
of thieves and traitors
In ours we carry the addresses
of rivers and thunderstorms.
They own windows
We own the winds
They own the ships
We own the waves.
They own the medals
We own the mud
They own the walls and balconies
We own the ropes and the daggers.
And now beloved !
Come, let us sleep on the pavements.