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दोस्ती दर्द से हुई जब से / ब्रह्मजीत गौतम
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दोस्ती दर्द से हुई जब से
आदमी बन गये हैं हम तब से
मौत का ख़ौफ़ मिट गया तब से
तेरी नज़रों में आ गये जब से
मुफ़्लिसों से है प्यार जिसको नहीं
प्यार कैसे करेगा वो रब से
ऐ मेरे हिन्द ! तेरा क्या कहना
तू ज़माने में है जुदा सबसे
याद उसने हमें किया होगा
हिचकियाँ आ रहीं हैं जो शब से
माँ के पैरों में स्वर्ग बसता है
उम्र-भर थामिये इन्हें ढब से
दौर दहशत का ख़त्म कब होगा
अम्न के मुंतज़िर हैं हम कब से