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दोस्तों से फ़रेब खाया कर / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
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दोस्तो से फ़रेब खाया कर
और फिर दोस्ती निभाया कर
हो के दिन भर के काम से फारिग
शाम को मयकदे भी जाया कर
जल की हर बूंद कीमती है मियां
एक दिन छोड़ कर नहाया कर
राह में देख कर हसीनों को
रास्ते से भटक भी जाया कर
सच्चे दिल से तुझे दुआ देंगे
हम फ़क़ीरों को कुछ खिलाया कर
एक शायर को आज मैंने कहा
बिन कहे शेर मत सुनाया कर
सिर्फ शुहरत ही मत कमा रहबर
धन भी थोड़ा बहुत कमाया कर।