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दोस्त की वापसी / वीरा
Kavita Kosh से
किसी पहाड़ी फुनगी पर
एक कोया बर्फ़
गिरी हौले से
देवदारु के वृक्षों पर
अंगार-सी धूप
बैठ गई
कहीं दोस्त
आया
...वापस