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दोस्त तू आजकल ख़फ़ा कम है / पूजा बंसल

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दोस्त तू आजकल ख़फ़ा कम है
या कि मुझको ही सोचता कम है

उसका दावा खुदा सा होने का
फितरतन आदमी है क्या कम है

दर्द से वास्ता पड़ा ही नहीं
कह दिया इश्क़ में मज़ा कम है

डूब कर प्यार में रहा ज़िंदा
मेरे आशिक तेरी सज़ा कम है

रात करवट बदल के कट जाती
कब्र ये जिस्म से जरा कम है

मेरे बेटे मैं सो चुकी कब की
मुझको मालूम था दवा कम है