भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दोहराया अनुभव / अवतार एनगिल
Kavita Kosh से
नंगे पांव चली दूधिया नदी ने
कर ली
आग से दोस्ती
धृत सुगंध में
लपटों सखियों का नाच
जलना : तत्वों का रूप पलायन
तलाश : गति के अर्थ की
बोझिल पाँव : ख़्यालों के
ख़्यालों के बिखरे टुकड़ों में
आलिंगनों की एकाग्र समग्रता
उन्मादी आंखें
सम्पूर्ण अधूरापन
दे जाते हैं दोनों को
मिट्टी का इक बाबा
चिर आकांक्षित
दोहराया अनुभव।