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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-20 / दिनेश बाबा

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153
जातीयता विद्वेष सें, बढ़लो छै उन्माद
आभी नैं जौं चेतभो, तेॅ पचतैभौ बाद

154
रोजे छै सीता हरन, नैं खोजै रघुवीर
कानै छै हर द्रोपदी, कहाँ बढ़ै छै चीर

155
रावण अपहत्र्ता प्रथम, दूजा छलथिन भीष्म
रोगी छै मन, आतमो, कष्ट सहै छै जिस्म

156
भागलपुर के खासियत, छै उम्दा व्यवहार
जे भी आबै छै यहाँ, आबै बारंबार

157
नाथनगर, चंपानगर, रेशम के व्यापार
चांदो के छेलै कभी, बड़का कारोबार

158
एक सती नारी रहै, बिहुला जिनकर नाम
पति जिलाबै लेॅ करकै, अनहोनी सब काम

159
‘बाबा’ बदली गेल छै, अब सामाजिक शेप
आठ बरस के बालकें करेॅ लगल छै रेप

160
बलत्कार के जे रकम, फैली गेलै रोग
सात-आठ के बालकें, करै यौन संभोग