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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-23 / दिनेश बाबा

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177
अदरख केरो जासती, करो न इस्तेमाल
बाबासिरो के रोग केॅ, बढ़बै जें तत्काल

178
छिकै कदीमा बादिये, वहिने बादी पोय
चोट, घवाहा आदमी, सेवन करै न कोय

179
ठंढा, कददू के शब्जी, नीको हुवै परोल
बनला पर दै छै मजा, बड़ी रसीला ओल

180
सेहत लेली योग छै, गरमी लेली आग
लौका सिर ठंढा रखै, तंद्रुस्ती लेॅ साग

181
ओल, कटहरो, कौंकरी, सहिजन खूब बिकाय
औफिसर भी पसन करै, तें महँगो लै जाय

182
औफिसर जे खाय छै, हौ बेचै छै लोग
लागी गेलो छै तहीं महँगाई केॅ रोग

183
सरसों, बथुआ, बूंट के, आरू ललका साग
चैलाई, पालक मिलै, रोज समझियै भाग

184
जनता के प्रतिनिधि छिकै, जनता ही छै लोक
लोकनाथ बनथैं हिनी, देबेॅ लगलै शोक