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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-28 / दिनेश बाबा

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217
सबसे अच्छा श्रेष्ठतम, अमरित फल छै नाम
सबसे बेसी सुस्वादु, कहलाबै छै आम

218
ई कैन्हों तृष्णा छिकै, ई कैसन छै प्यास
आँख लड़ाबै छै कहीं, डालै ककरो घास

219
दे मैय्या सम्पन्नता, मतर न दे अभिमान
शक्ति-भक्ति सें युक्त दे, तेजस्वी संतान

220
आय यहाँ गनतंत्रा में, नेता छिकै महान
देव जकां सब उड़ै छै, सेवा में छै यान

221
प्राकृतिक आपदा छिकै, त्रासद के दुर्योग
बेघर छिकै करोड़ में, मरलै लाखों लोग

222
लोग सुनामी लहर सें, लेतै कहाँ पनाह
सागर थाही लै मतर, दुख के नै छै थाह

223
‘बाबा’ परगट होय छै, मन के जब आक्रोश
बल्हौं ऐ सें घटै छै, काम करै के जोश

224
जीव जहाँ कहलाय छै, ईश्वर केरो अंस
लहर सुनामी सें तबो, कहिने ई विध्वंस