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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-30 / दिनेश बाबा

233
राहत केरों काम में, ‘बाबा’ जे छै साथ
लूटोॅ में लुलुहा तलुक, डुबलै हुनकर हाथ

234
लोग कहै मुखिया बहुत भेॅ गेलै मगरूर
खूब करै छै गांव के, मंत्राी साथें टूर

235
देसें भोगै त्रासदी, संसद में तकरार
विडंबना छै देस रो, सांसद के व्यवहार

236
कहिने नी मुखियैन भी, नै होतै मगरूर
मंत्राी के पत्नी बनी, करै विदेसी टूर

237
लहर सुनामी, बापरे, को रं दैत्याकार
एक बेर में करै छै, लाखों के संहार

238
हय सुनामी लहर छिकै, उर्जा के संचार
जल सें संचालित हुवै, करै तटों पर वार

239
आँखी तर लुत्ती उड़ै, जिनगी छै बदरंग
‘बाबा’ भुखलो देहि में, केना उठै तरंग

240
रही-रही सोचै धरा, कोन बात के दंड
जरी रहलो छै बनस्पति, सूरज तपै प्रचंड