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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-31 / दिनेश बाबा

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241
हू-हू करी हावा चलै, आगिन लुक बरसाय
मजदूरो के चैन नै, तबो काम पर जाय

242
‘बाबा’ जोतै सायकिल, छिकै पुरानो एक
अब जैतै केना कहीं, टूटी गेलै ब्र्रेक

243
खूब सहेजी केॅ रखो, जोरू, जगह-जमीन
‘बाबा’ दोनो ही रहै, ताकत करो अधीन

244
सत जिनगी रो लै करी, हंसा उड़ल अकाश
कानै माटी देह लगि, परिजन पुरजन पास

245
सुख समृद्धि के अगर, हुऐ मनो में चाह
हे मनुख उद्योग करो, निकली ऐथौं राह

246
भर जिनगी खटतें रहो, करभो कब विश्राम
जतरा जारी छौं अभी, कहिया भजभो राम

247
ऐलै कतने मोड़ भी, ऐलै कभी पड़ाव
देखै छियै अतीत जब, लौकै घावे-घाव

248
भग सें होलै भगवती, भग सें ही भगवान
एक बार जे डूबतै, निकसल नैं आसान