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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-38 / दिनेश बाबा
Kavita Kosh से
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समझे पड़थौं की छिकै, ‘बाबा’ नक्सल सोच
नैं तेॅ फेरू देखिहो, लगथौं बड़ा खँरोच
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माक्र्सवाद सें छै भिड़ल, टांकाआरो तार
परशिक्षन लै के वही, करै गुरिल्ला वार
299
ऐ बातोॅ के खोजियै, ‘बाबा’ कोय निदान
ऊ सब जीयै छै कना, लै हाथोॅ पर जान
300
झूठ बनै छै सच यहाँ, लै छै मोटी फीस
करथौं यही वकील सब, मार्फत न्यायाधीस
301
रोज बिहारी केॅ करै, जेना उल्फां ढेर
हो नेता कुछ करो तुरत, होलै बड्डी देर
302
एक सुनामी लहर छै, कुछ भी करो उपाय
उल्फा के कुकृत्य कहीं, प्रान्त न दियेॅ जराय
303
झूठ पपीहां पी कहै, पिया बसै परदेश
बोल सुनी ‘बाबा’ लगै, बड़ी हृदय में ठेस
304
नै प्यारो हुनका लगै, कोयलिया के बोल
परदेशी जकरो पिया, छथिन निरा बकलोल