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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-57 / दिनेश बाबा
Kavita Kosh से
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जे जे रहै विरोध में वें पावी संयोग
सत्ता पर कब्जा करी, करै मजा सें भोग
450
वोट हँसोतै वासतें, लै दलितो के नाम
काम निकाली केॅ वहीं, कुछ न करै छै काम
451
समीकरण षडयंत्रा छै, एक चुनावी चाल
लोगोॅ के होलै तहीं बद सें बदतर हाल
452
जनता लागै छै जना, छिकै काठ के चीज
नेतां जब चाहै करै, अपनों हक में सीज
453
जनता के मन में घुरै, हरदम एक सवाल
आजादी के बाद भी, कहिने छै हय हाल
454
नै अभियों तक रोशनी, नै आभी तक धूप
नै बदलल छै जिन्दगी, नै निर्धन के रूप
455
जेल, बेल रो खेल अब, लगै न्याय पर घात
बन्द करै के चाहियो, सब अहिनो रं बात
456
जेल दिलाबो, बेल नैं, कुछ दिन राखो बंद
‘बाबा’ ऐ परकार सें, होतै न्याय बुलंद