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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-80 / दिनेश बाबा

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633
छिकै अंगिका लेॅ सही, ‘बाबा’ यहू जिहाद
बढ़िया फसल के वास्तें, देबेॅ पड़थौं खाद

634
जें भाषा पर करै छै, रोजे वाद-विवाद
भाषा पनकै लेॅ वहू, दै रहलो छै खाद

635
लगतै अस्टम सुची में, नै छै आबेॅ देर
लागी गेले अंगिका, में साहित के ढेर

636
बेशकीमती चीज ही, बचतै आखिरकार
फटकै आ ओसाय में, छँटतै खर-पतवार

637
भाषा के झंडा धरी, छै कत्तेॅ नी भीष्म
लेखन में मिलथौं यहाँ, सभे विधा के किस्म

638
भाषा के योद्धा जहाँ, छेबो करै अनेक
नामचीन वै सबो में, ‘बाबा’ भी छै एक

639
महारथी कुछुवे छिकै, बस समझो दस-बीस
‘बाबा’ भी छै वही में, जैसंे मास्टर पीस

640
छप्पन वर्षों बाद भी, हौ दिन लगै स्वतंत्र
साल भरी पर जोन दिन, आबै छै गनतंत्र