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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-85 / दिनेश बाबा

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673
प्रीतो के छै पात्राता, नाजुक फूले रंग
तन सुन्दर, भावुकमना, दिल में उठै तरंग

674
प्रेम आरू गाढ़ो हुवै, बढ़ै जबेॅ बिलगाव
भाँसै तेजी से तभी, तट छोड़ै जब नाव

675
कल, बल, छल सें डँसै छै, दुष्ट करैतो साँप
ऊपरो सें साधु जकां, करथौं मंतर जाप

676
गणतंत्रो के देश में, गन बढ़लै अत्यन्त
बाहुबली में होय छै, कुर्सी लेलि भिड़न्त

677
दानव रं पहिने रहै, यहाँ डायनासोर
अखनी लागै वहीं रं, बाहुबली के जोर

678
जाड़ा में जब भी बढ़ै, खाँसी लै छै प्राण
सितोपलादिचूर्ण, सहित, मधु सेवन दै त्राण

679
काम करै छै आर्निका, लगै कहीं भी चोट
दाँत दर्द, बहुमूत्रा में, दवा छै क्रियोजोट

680
जोड़ जोड़ के दरद में, आर्टिका यूरेंस
इपिकाॅक, सिनकोना सें, ठीक हुऐ छै मेंस