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दोहा मन्दाकिनी, पृष्ठ-8 / दिनेश बाबा

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57
तोता सें मैना कहै, दुनिया के दस्तूर
पुरूष आज भी छै बहुत, जालिम आ मगरूर

58
मैना सें तोता कहै, बिसरो पिछली बात
अब मरदो सें आगुए छै नारी के जात

59
बेलज्जापन ही अगर, छै नारी उत्थान
नारी तबेॅ अतीत के, केना छलै महान

60
जना परस्पर वर-वधू, पाबै पहिलो प्यार
वहिने लागै छै सुखद, सावन के बौछार

61
तन सुन्दर, भावुक मना, दिल में उठै तरंग
प्रीत केरो छै पात्राता, नाजुक फूले रंग

62
प्रेम आरू गाढ़ो हुवै, बाढ़ै जब अलगाव
भाँसै तेजी सें तभी, तट जब छोड़ै नाव

63
कल-बल-छल सें डँसे छै, दुष्ट करैतो साँप
ऊपर सें लगथौं भले, करतें तोरे जाप

64
सत्ता में सब जाय केॅ, दिखलाबै छै खेल
राहत नैं, मँहगो मिलै, डीजल, मोबिल, तेल