भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दोहा शिक्षावली / मुंशी रहमान खान
Kavita Kosh से
यह दोहा शिक्षावली रची धर्म दोउ हेत।
पढ़िहें मुस्लिम हिंदुजन होवें धर्म सचेत।। 1
नहिं निंदा की किसी की दीन्ह धर्म उपदेश।
कहा वही अनुसार मैं जो हो रहा इस देश।। 2
बुरा भला कोइ कहै मोहिं, नहीं मुझे परवाय।
सत्य नीति जो धर्म की दैहौं सबहिं लखाय।। 3
धर्म ज्ञान निज दशा लख सुजन करहिं सम्मान।
धन्यवाद दैहें अवधि यही आश रहमान।। 4