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दोहा / राजा शिवप्रसाद सितारे-हिन्द
Kavita Kosh से
छा गई ठण्डी साँस झाड़ों में।
पड़ गई कूक-सी पहाड़ों में।
हम नहीं हँसने से रोकते जिसका जी चाहे हँसे।
है वही अपनी कहावत आपसे जी आ फँसे।
अब तो सारा अपने पीछे झगड़ा-झाँटा लग गया।
पाँव में क्या ढूंढ़ती है? जी में काँटा लग गया।