दोहे / पृष्ठ २ / कमलेश द्विवेदी
11.
तुम गजलों की प्रेरणा तुम गीतों के प्राण.
तुमसे मिलकर मोम सा हुआ हृदय पाषाण.
12.
चंदा से चाँदी मिली सूरज से भी स्वर्ण.
इन दोनों से है बना तेरा सुन्दर वर्ण.
13.
सूरज-चंदा मिल सभी गायें तेरे गीत.
इसीलिए सबसे अलग तू है मेरा मीत.
14.
धागा जोड़ो प्रेम का लगा प्रेम की गाँठ.
गाँठ जोड़ने से जुड़े सात जनम का साथ.
15.
दिल की कह पाया नहीं परेशान था व्यर्थ.
तुमने मेरे मौन का सही लगाया अर्थ.
16.याद किया तुमने मुझे पाया यह पैगाम.
सचमुच ही उस दिन लगी मुझे सुहानी शाम.
17.
वही भरोसा गैर पर कर सकता है खास.
जिसको अपने आप पर होता है विश्वास.
18.
तुम जीवन में आ गये बदल गया परिवेश.
साधारण से मैं हुआ कितना आज विशेष.
19.
पूरे मन से दी मुझे उसने अपनी प्रीत.
मैं लिख पाया हूँ तभी दोहे-गजलें-गीत.
20.
जिस पल मेरे साथ तुम उस पल की क्या बात.
दिवस सुहाना है दिवस रात सुहानी रात.