दो-दिन गाँव में / कमलेश कमल
माँ कब से बुला रही थी कि
आकर देख जाओ
कि जी भरकर देख लूँ
मैं भी एक बार
कि कहीं ऐसा न हो
कि तुम रहो शहर में
और यहाँ हंसा उड़ जाये!
इस बार सर्दियों में घर आया हूँ
माँ की कमर धनुष की तरह टेढ़ी हो गयी है
अनुभव का बोझ
सँभाले नहीं सँभलता
मोतियाबिंद बढ़ गया है
पूरी दृष्टि केन्द्रित कर
छू-छू कर देख रही है
गाँधारी-सी अपने बेटे को
पत्थर की काया देना चाहती है
चौके में भाभी खाना पका रही है
बड़ियों की छौंक नासापुटों तक आती है
पत्नी इशारे से बुलाती है
उसे जल्दी है कि
बड़े भैया से फ़सल का हिसाब ले लूँ
बड़े भैया एक-एक करके
शहर का समाचार पूछ रहे हैं
और बीच-बीच में गाँव की स्थिति बतला जाते हैं
यह भी कि पिंकू को इस बार शहर लेते जाऊँ
यहाँ की पढ़ाई तो पूछो ही मत...
शहर में रहेगा तो आदमी बन जायेगा
यहाँ फ़सल पिछले साल-सी नहीं हुई
फिर भी औरों से ठीक है
माँ एक-एक चीज बता देना चाहती है
कि कहाँ कितने खेत हैं
कितना जमा-बाक़ी है
और साथ में ताक़ीद भी
कि बड़े भैया आदमी हीरा हैं
बस, इधर हाथ तंग रहता है
फिर बिटिया कि शादी भी करनी है
और, अगर मैं रहूँ शहर में
और माँ चल बसें
तो भागा आऊँ
क्रिया-कर्म में ज़्यादा ख़र्च न करूँ
फिर घर न टूटे
एका में ही बल है
और बिटिया के लिये
शहर में ही कोई लड़का देखूँ
बड़े भैया मेरे ही भरोसे हैं
भाभी बच्चों के पीछे जान उड़ेल रही हैं
तरह-तरह के पकवान बनाती हैं
बच्चों को नहलाती हैं
मुन्नी की चोटी करती हैं
और मेरा कितना ख़्याल रखती हैं
श्रीमती जी को भी यहाँ ख़ूब अच्छा लग रहा है
पर वह चिंतित है
कि भाभी अगर अपना दुखड़ा रो बैठीं
तो हमें कुछ करना पड़ेगा
बड़े भैया खेत दिखाने ले चलते हैं
सरसों के खेत बड़े प्यारे लग रहे हैं
गेहूँ के पौध अभी छोटे हैं
अब इन्हें पानी की आवश्यकता है
बड़े भैया बताते हैं
एक गन्ना तोड़कर मेरी तरफ़ बढ़ा देते हैं
दो-तीन रख लेते हैं बच्चों के लिये
दो दिन बीत गये
आज जाना है
भैया बोरियों में चावल रखवा रहे हैं
भाभी तिल के लड्डू बना रही है
पिंकू इस बार साथ नहीं जा रहा...
अगली बार जायेगा वह
तब तक हम अपना मकान ले लेंगे
बच्चे तैयार हैं
भाभी ने उनके लिये नये कपड़े मंगवा लिये हैं
माँ के पाँव छूता हूँ...
खूब आशीष देती हैं
भाभी पत्नी के सिर में तेल-सिंदूर रखती हैं
बच्चों के कान के पीछे काजल की बिंदी रखती हैं
भैया स्टेशन तक छोड़ने आते हैं
बच्चों का रास्ते में ख़्याल रखने कहते हैं
गाड़ी आती है...
सारा समान चढ़ा देते हैं बड़े भैया
और हाथ हिलाते रहते है बड़े भैया!