भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दो कमरे बनवाए हैं / अनिमेष मुखर्जी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दो कमरे बनवाए हैं
दिल की छत पर
कुछ लम्हे
वक्त से लोन लेकर
इनमें ज़रा यादें छोड़ जाओ
तो कब्ज़ा हो जाए।